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साईं ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन द्वारा आयोजित राजनीति और चुनाव सुधार कार्यशाला में अतिथियों के नाम पर हुई जमकर राजनीति

2 फरवरी को होने वाले साईं ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन,ओनामा के द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला विषय राजनीति एवं चुनाव सुधार एवं मां माहेश्वरी क्रिकेट टूर्नामेंट के समापन सह पुरस्कार वितरण समारोह में अतिथियों को आमंत्रित करने लेकर जमकर राजनीति हुई है। विदित हो कि इस दोनों कार्यक्रम में बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी और एवं प्रौद्योगिकी मंत्री बिहार सरकार सुमित कुमार सिंह मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर विधान पार्षद अजय कुमार सिंह शामिल होंगे। हालांकि आयोजक ने इस कार्यक्रम मे पहले मुख्य अतिथि के तौर पर भवन निर्माण मंत्री बिहार सरकार अशोक चौधरी अतिथि के तौर पर बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार एवं विधान पार्षद अजय कुमार सिंह एवं सम्मानित शेखपुरा विधायक विजय सम्राट को आमंत्रित करने का मन बनाया था।और इस संबंध में आमंत्रण पत्र भी छपवा दिया गया था। लेकिन एकाएक माजरा बदल गया और स्थानीय दोनों विधायक को इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं करने का मन बना लिया। इसके बाद आगंतुकों को नया आमंत्रण पत्र छपवा कर बाटा गया। अब इसको लेकर बरबीघा,शेखपुरा के राजनीतिक चौकी में तरह-तरह की बातें भी होने लगी। और कुछ लोगों की माने तो यह बदलाव किसी राजनीतिक दबाव में किया गया है। इससे यह प्रतीत होता है कि यह पूरा मामला एक राजनीतिक विद्वेष का है।

विदित हो कि भवन निर्माण मंत्री बिहार सरकार अशोक चौधरी की बरबीघा में आवाजाही इन दिनों काफी तेज हो गई है।और बरबीघा के कई छोटे बड़े कार्यक्रमों में शामिल होते दिख रहे हैं। इन दिनों बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार से अशोक चौधरी की दूरी की चर्चा भी जोरों पर है। क्योंकि जब भी भवन निर्माण मंत्री किसी कार्यक्रम में शामिल होते हैं तो उनके साथ बरबीघा के जदयू विधायक और उनके समर्थक नजर नहीं आते हैं।जब भी भवन निर्माण मंत्री बरबीघा में किसी कार्यक्रम में होते हैं तो उनके साथ बरबीघा कांग्रेस के नेता तथा अन्य दलों के नेता जो जदयू विधायक सुदर्शन कुमार के विरोधी हैं, वे सभी उनके साथ विभिन्न कार्यक्रमों में भी नजर आते दिखते हैं। इन सब बातों से जदयू पार्टी के आम कार्यकर्ता एवं वैसे नेता और कार्यकर्ता जो सुदर्शन कुमार के समर्थक हैं वे लोग काफी नाराज भी दिखते हैं।

आखिर माजरा क्या है ?

राजनीतिक गुणा भाग करने वाले की माने तो अशोक चौधरी दोबारा बरबीघा विधानसभा में अपनी पैठ जमाना चाहते हैं और अपने दमाद सायन कुणाल को बरबीघा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाने के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं। और आगामी लोकसभा चुनाव में खुद जमुई संसदीय क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़ना चाहते हैं। जबकि महागठबंधन होने के बाद कांग्रेस राजद जदयू तीनों पार्टी मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ेगी और अभी बरबीघा विधानसभा से सुदर्शन कुमार जदयू से विधायक हैं। सवाल यह उठता है कि खुद अशोक चौधरी जदयू पार्टी के नेता हैं ।और अपने दामाद को कैसे बरबीघा से चुनाव लड़वा पाएंगे?

गौर करने वाली बात यह है कि अशोक चौधरी के दमाद सयान कुणाल आचार्य कुणाल किशोर के बेटे हैं और कुणाल किशोर का भाजपा से कनेक्शन किसी से छुपा नहीं है। खुद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और दिग्गज भाजपा नेता आरएसएस के प्रमुख विचारक राम माधव सायन कुणाल की शादी में शिरकत किए थे। ऐसे में बरबीघा विधानसभा के लिए सायन कुणाल के दोनों हाथ में लड्डू है।

अशोक चौधरी का बरबीघा में दुबारा इंट्री प्लान

सबसे पहले बरबीघा और शेखपुरा विधानसभा क्षेत्र के अपने पुराने साथी और राजनीतिक सरोकार रखने वाले लोगों को अपनी बेटी के शादी में आमंत्रण पत्र भिजवाया।लगभग 4000 से 5000 कार्ड बरबीघा, शेखपुरा विधानसभा सभा क्षेत्र में बांटा गया था। बरबीघा और शेखपुरा के स्थानीय नेता ने इसे अपना सौभाग्य समझ कर शादी कार्यक्रम में शिरकत भी किये।इसी प्रकार नव वर्ष के अवसर पर भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी द्वारा अपने पुराने सहयोगी एवं नए समर्थकों को नव वर्ष ग्रीटिंग्स कार्ड भेजा गया। उस पर कई लोगों ने सोशल मीडिया पर खुशी का इजहार भी किया। अशोक चौधरी का राजनीतिक कद पहले से काफी बड़ा हो गया है और उनके समर्थक नव वर्ष की ग्रीटिंग कार्ड पाकर काफी गदगद हुए। लेकिन सोचने की बात यह है कि आखिर 12 वर्ष बाद अशोक चौधरी को बरबीघा के लोगों की इतनी याद क्यों आ रही है। कुछ दिन पहले भवन‌ निर्माण मंत्री द्वारा मालदह गांव में पूर्व प्रमुख कांग्रेस के दिग्गज नेता स्वर्गीय रामनरेश बाबू के पुण्यतिथि पर शामिल होकर मूर्ति लगाने की घोषणा किया गया। जबकि एक वृद्ध कांग्रेसी का कहना है कि रामनरेश बाबू के मृत्युपरांत अशोक चौधरी ने बरबीघा कृष्ण आश्रम में मूर्ति लगवाने का वादा किया था।

भवन निर्माण मंत्री आजकल बरबीघा के सभी छोटे-बड़े कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। वही धीरे-धीरे वह अपना रुख शेखोपुर सराय प्रखंड की ओर करने वाले हैं और इसकी शुरुआत 2 फरवरी को ओनामा में होने वाले ‘चुनाव एवं राजनीति सुधार’ एक दिवसीय कार्यशाला से होगी। सूत्रों की माने तो बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार का खेमा भी इस राजनीतिक खेल पर नजर रखे हुए हैं और क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। बरबीघा विधानसभा में अभी सबसे ताकतवर नेता के रूप में सुदर्शन कुमार को जाना जाता है और लगातार दो बार विधायकी की जीत है इसे साबित भी किया है। पिछली विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस के धाकड़ उम्मीदवार गजानंद शाही होने,लोजपा से कारपोरेट कैंडिडेट डा. मधुकर, निर्दलीय प्रत्याशी आरसीपी के करीबी डा.राकेश रंजन के उम्मीदवारी तथा जदयू के खिलाफ लोगों का आक्रोश होने के बाद भी बरबीघा सीट जीतने में सुदर्शन कुमार सफल हुए थे।

डॉ अशोक चौधरी के दाहिने तरफ उनके दामाद सायन कुणाल
बरबीघा में एक निजी कार्यक्रम में विधायक सुदर्शन कुमार
अशोक चौधरी द्वारा नव वर्ष पर भेजा गया ग्रीटिंग्स कार्ड
आयोजक द्वारा छपाया गया पहले का आमंत्रण पत्र

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